Tuesday 31 March 2009

हम जिसे निभा लेंगे
वो ही दोस्ती होगी
बिन कहे सुने कुछ भी
चल रहा है अफ़साना
अब कोई भी
अजनबी सा
वाकया नहीं होता
अब कभी भी मिलने में
हादसा नहीं होता,
आजकल यूँ मिलते हैं
हम बिना जरूरत के
जैसे
ना भी मिलने पे
कुछ कमी नहीं शायद,
अब हमारी बेफिक्री
का ये कैसा आलम है
तुम भी कुछ नहीं कहते
मैं भी कुछ नहीं कहता
बिन कहे सुने कुछ भी
चल रहा है अफ़साना

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